OFFRE D'UNE DURÉE LIMITÉE. Obtenez 3 mois à 0,99 $/mois. Profiter de l'offre.
Page de couverture de अतिकाया वध

अतिकाया वध

अतिकाया वध

Écouter gratuitement

Voir les détails du balado

À propos de cet audio

अपने भाइयों की मृत्यु से रावण की पत्नी धन्यमलिनी का पुत्र अतिकाया, जिसे ब्रह्मदेव से देव और दानवों द्वारा ना मारे जा सकने का वरदान प्राप्त था, क्रोध से भर गया और उसने अपने रथ पर सवार होकर युद्धभूमि में प्रवेश किया। उसके धनुष की टंकार से चारों ओर कोलाहल मच गया। कुमुद, द्विविदा, मैंदा, नील और शरभ ने वृक्षों और चट्टानों से उस पर एक साथ प्रहार किया, जिन्हें अतिकाया ने अपने बाणों से ध्वस्त कर दिया। इस प्रकार जो भी उसके सामने आता उस पर प्रहार करते हुए वह श्रीराम के समक्ष पहुंचा और उन्हें युद्ध के लिए ललकारा। उसकी ललकार का उत्तर लक्ष्मण ने दिया और अपना धनुष हाथ में लेकर उसके सामने आ खड़े हुए। अतिकाया और लक्ष्मण दोनों धनुर्विद्या में निपुण थे। उन दोनों के बीच भयानक द्वन्द्व छिड़ गया। लक्ष्मणजी ने अतिकाया पर आग्नेयास्त्र से प्रहार किया जिसे देखकर अतिकाया ने सूर्यास्त्र से प्रहार किया और दोनों अस्त्र हवा में एक-दूसरे से टकराकर नष्ट हो गए। अतिकाया ने ऐशिका अस्त्र का आव्हान किया, जिसका सामना लक्ष्मण ने ऐंद्रास्त्र से किया। अतिकाया के यमयास्त्र को लक्ष्मण ने वायव्यास्त्र से नष्ट कर दिया। दोनों के बीच बाणों का आदान-प्रदान चलता रहा और दोनों ही योद्धा हारते हुए नहीं दिख रहे थे। तब वायुदेव ने लक्ष्मण जी के कान में कहा कि इसकी शक्तियां ब्रह्मदेव के वरदान से हैं, और इसका अन्त भी ब्रह्मदेव के अस्त्र से ही संभव है। वायुदेव की बात मानकर लक्ष्मणजी ने ब्रह्मास्त्र का आव्हान किया और अतिकाया पर प्रहार किया। अतिकाया ने अपनी ओर आते हुए ब्रह्मास्त्र को रोकने हेतु उस पर कई बाणों से प्रहार किया, परंतु अतिकाया के बाणों का ब्रह्मास्त्र पर कोई असर नहीं हुआ। अतिकाया ने भाले, फरसे, हथौड़े, तलवार इत्यादि से ब्रह्मास्त्र को रोकने का प्रयास किया परंतु वह ब्रह्मदेव के अस्त्र को नहीं रोक पाया और ब्रह्मास्त्र के प्रहार से उसका सर धड़ से अलग होकर जमीन पर गिर गया। इस प्रकार लक्ष्मणजी ने रावण के प्रतापी पुत्र विशालकाय अतिकाया का वध कर वानरसेना और देवगणों में खुशी का संचार किया। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
Pas encore de commentaire