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इश्क़

इश्क़

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आज की ग़ज़ल "इश्क़" ज़िंदगी में इश्क़ के मायने बताती हुई ❤❤


ज़िंदगी इश्क़ में थमी सी है

मौत भी लगती ज़िंदगी सी है।


तेरे ख़्यालों की है महक ऐसी

छा रही अब तो बे- ख़ुदी सी है।


तुमने तो दूर रहने की ठानी

पास आने की दिल्लगी सी है।


तुम मोहब्बत का ज़िक्र ना करना

ये कहानी तो काग़ज़ी सी है।


माफ़ कर देती हूँ ख़ता तेरी

हमको ऐसी ये आश़िकी सी है।


ख़्वाब में रोज़ देते हो दस्तक

ज़िंदगी में तेरी कमी सी है


प्रीत को अब न और तड़पाना

उल्फ़त लगती बंदगी सी है।

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