Page de couverture de हाथी और दर्ज़ी की कहानी | 

हाथी और दर्ज़ी की कहानी | 

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À propos de cet audio

सालों पहले एक गाँव रत्नापुर में एक जाना-माना मंदिर था। उस मंदिर में रोज़ एक पुजारी पूजा-पाठ करता था। उस पुजारी के पास अपना एक हाथी था, जिसे वो अपने साथ रोज़ मंदिर लेकर जाता था। सभी गाँव के लोग हाथी को बहुत पसंद करते थे। हाथी भी मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं का खूब स्वागत-सत्कार किया करता था
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