#003 द टेक: विदेश में फिर एक नया युद्ध, भारत के लिए ज़रूरी है अंदर झांकना
Échec de l'ajout au panier.
Échec de l'ajout à la liste d'envies.
Échec de la suppression de la liste d’envies.
Échec du suivi du balado
Ne plus suivre le balado a échoué
-
Narrateur(s):
-
Auteur(s):
À propos de cet audio
गल्फ वॉर से लेकर आज के पश्चिम एशिया संकट तक, अमेरिका के नेतृत्व में हुए युद्धों ने दुनिया को झकझोरा, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था ने इन वैश्विक उथल-पुथल के बीच भी अपनी दिशा नहीं खोई। इस एपिसोड में बताया गया है कि कैसे 1991 की उदारीकरण नीति—जिसका सूत्रपात तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने किया था—भारत को बाहरी संकटों के बावजूद आर्थिक रूप से मजबूत करती रही। चाहे वह 9/11 के बाद अफगान युद्ध हो, 2003 का इराक़ पर हमला, 2008 की वैश्विक मंदी या कोविड-19 जैसी महामारियां—भारत ने अपनी नीतियों, उद्यमशीलता और घरेलू मांग के बल पर स्थिरता बनाए रखी।
अब, जब अमेरिका और ईरान के बीच टकराव फिर से तेज़ हो रहा है और पश्चिम एशिया एक बार फिर अशांत हो सकता है, भारत के सामने दोहरी चुनौती है—बाहरी संकटों का प्रबंधन और घरेलू सुधारों की गति को बरकरार रखना। इस समय को अवसर की खिड़की मानते हुए, हमें अभी भी कई क्षेत्रों को खोलने, नीतिगत बाधाओं को हटाने और कारोबारी माहौल को सरल बनाने की ज़रूरत है।
हमारी कवरेज के और लेख पढ़ने के लिए देखें: thecore.in
हमारा न्यूज़लेटर सब्सक्राइब करें
हमसे जुड़े रहें:
Twitter पर फॉलो करें
Instagram पर फॉलो करें
Facebook पर फॉलो करें
LinkedIn पर फॉलो करें
YouTube पर हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें