
3. होमबलि की वेदी बबूल की लकड़ी से बनी थी और सोने से मढ़ी गई थी (निर्गमन ३८:१-७)
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इस्राएल के लोगों के बिच में से किसी भी पापी को अपने पापों के लिए, तम्बू के पास बलिदान का अर्पण लाना पड़ता था, उसके सिर पर अपने हाथ रखने के द्वारा अपने पापों को उसके ऊपर डालना पड़ता था, उसका लहू बहाना पड़ता था, और फिर उस लहू को याजक को सोंपना पड़ता था। फिर सेवा करनेवाला याजक बलिदान के इस लहू को होमबलि की वेदी के सींगो पर छिड़कता था, उसकी चरबी और मांस को वेदी पर रखता था, और फिर परमेश्वर के लिए सुंगध के रूप में उसे आग से जलाता था। यहाँ तक की महायाजक को भी अपने पापों की माफ़ी पाने के लिए होमबलि की वेदी के सामने बलिदान के सिर पर अपने हाथ रखने पड़ते थे और अपने पाप उसके ऊपर डालने पड़ते थे। यह प्रायश्चित का बलिदान था जो होमबलि की वेदी पर चढ़ाया जाता था जिसे बबूल की लकड़ी से बनाया गया था और पीतल से मढा गया था, और पापों की माफ़ी का यह बलिदान केवल हाथ रखने और लहू बहाने के द्वारा ही चढ़ाया जाता था।
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