
Bulleh Shah (Hindi Edition)
Kaljayi Kavi Aur Unka Kavya
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Narrateur(s):
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Babla Kochhar
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Auteur(s):
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Bulleh Shah
À propos de cet audio
गागर में सागर की तरह इस पुस्तक में हिन्दी के कालजयी कवियों की विशाल काव्य-रचना में से श्रेष्ठतम और प्रतिनिधि काव्य का संकलन विस्तृत विवेचन के साथ प्रस्तुत है।
पंजाब के सूफ़ी संत और कवि बुल्ले शाह (1680-1758) अपने असाधारण व्यक्तित्व, व्यवहार और गहरे आध्यात्मिक अनुभव से सम्पन्न वाणी के कारण हिन्दू, मुसलमान और सिखों में समान रूप से स्वीकार्य हैं। उनकी समस्त वाणी ईश्वर या गुरु को पाने पर केन्द्रित है और जिसका साधन वे केवल प्रेम मानते हैं। प्रेम की इस साधना में वे मनुष्य के धर्म, संप्रदाय, जाति, मत, रंग, नस्ल आदि की कोई पहचान उपयोगी नहीं मानते। बुल्ले शाह विद्वान थे जिन्हें धर्म, दर्शन, साहित्य की विस्तृत जानकारी थी, लेकिन यह सब ज्ञान उनके ईश्वर प्रेम के वेग में इस तरह घुल-मिल गया कि उनकी वाणी में प्रेम के अलावा और कुछ नहीं मिलता। अरबी-फ़ारसी के ज्ञान के बावजूद उनकी वाणी पंजाबी में है और जिसकी मस्ती, खुमारी, बेपरवाही पंजाब के लोक से आती है। शायद यही कारण है कि आज भी बुल्ले शाह की वाणी बेहद लोकप्रिय है और सिनेमा, संगीत, टीवी, इंटरनेट आदि में इसका बहुत अधिक प्रचलन है।
प्रस्तुत चयन में बुल्ले शाह की प्रामाणिक और आधिकारिक मानी जाने वाली रचनाओं में से श्रेष्ठ रचनाओं को प्रस्तुत किया गया है। यहाँ बुल्ले शाह की प्रतिनिधि रचनाओं में से चुनकर काफ़ियाँ, दोहे, अठवारा, बारहमाह, गंढ़ाँ और सीहरफ़ियाँ दिए गए हैं जो पाठकों को बुल्ले शाह के साहित्य के श्रेष्ठ का आस्वाद दे सकेंगे।
इस चयन का संपादन डॉ. माधव हाड़ा ने किया है जिनकी ख्याति भक्तिकाल के मर्मज्ञ के रूप में है। उदयपुर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. हाड़ा मध्यकालीन साहित्य और कविता के विशेषज्ञ हैं। डॉ. हाड़ा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में फ़ैलो रहे हैं। संप्रति वहाँ की पत्रिका चेतना के संपादक हैं।
Please note: This audiobook is in Hindi.
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