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Page de couverture de रोज़ाना

रोज़ाना

रोज़ाना

Auteur(s): Swati Bakshi
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रोज़ाना, एक शब्द जिसमें सिमटी है जिंदगी. अंग्रेज़ी में 'एवरीडे' कहलाने वाला वो शब्द जिसका मतलब समझने का दावा शायद हर कोई कर सकता है, आख़िर रोज़मर्रा की ही तो बात है. लेकिन क्या वाकई सिर्फ़ दिन-रात और सर्दी-गर्मी-बरसात के रूटीन में बांधकर इस शब्द में लिपटी जिंदगी को समझा जा सकता है? इस पॉडकास्ट के ज़रिए पलटिए कुछ पन्ने, जिनमें दर्ज हैं मुस्कुराहटें, ख़्वाहिशें, ख़लिश, बीते लम्हों की यादें और एहसास, जिन्हें जीते हैं हम, रोज़ाना. 'Everyday' can seem like a robotic duplication of reality without novelty. "Rozaana" is a podcast that explores life's design through the lens of everyday life.Swati Bakshi Sciences sociales
Épisodes
  • रोज़ाना (ब्रेक पर): सुनते रहिए
    May 23 2025

    रोज़ाना में अब वक्त है कुछ देर रुकने का. 50 एपिसोड तक के रास्ते में नए-पुराने दोस्तों का साथ मिला. आप सबका शुक्रिया. रोज़ाना है तो वापिस लौट कर आएगा ही. तब तक सुनिए और हो सके तो सुनवाइए और बताइए भी.

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  • रोज़ाना (Ep. 50): मीडिया और ज़िंदगी
    May 22 2025

    मीडिया से परेशान हो जाएंगे, इसका अंदाज़ा कुछ वक़्त पहले तक नहीं था. अब जब है तो परेशानी पर परेशान रहने से बेहतर है कि ख़ुद को जाल में फंसा महसूस करते रहने के बजाए, इस नए सच के साथ रिश्ते को नया रूप दिया जाए.

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  • रोज़ाना ( Ep. 49): जर्नलिज़्म और तकनीक
    May 21 2025

    तकनीक ने जर्नलिज़्म को बहुत फैलाव दिया है. डिजिटल दुनिया में इस रिश्ते को नई संभावनाएं तो मिली लेकिन साथ ही मिली रफ़्तार की चुनौती. जो हालात हमारे सामने हैं उन्हें देखते हुए ये समझना ज़रूरी है कि तेज़ भागने की लत लगाना पत्रकारिता के अंदरूनी ढांचों और उसकी ज़रूरतों के लिए कारगर है?

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    3 min
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