Page de couverture de हरप्रीत कौर की ज़ुबानी कविता किस्से कहानी

हरप्रीत कौर की ज़ुबानी कविता किस्से कहानी

हरप्रीत कौर की ज़ुबानी कविता किस्से कहानी

Auteur(s): Harpreet Kaur
Écouter gratuitement

À propos de cet audio

मैं हरप्रीत कौर एक गृहिणी हूँ, स्वसुखाय के लिए लिखना आरंभ किया फिर फेस बुक के माध्यम से अनेक साहित्यिक समूहों से जुड़ती चली गई। विज्ञान विषय से स्नातक हूँ, लेकिन हिंदी भाषा के प्रेम चलते लिखने लगी। बहुत से अखबारों और साझा संकलन में मेरी कविताओं को स्थान मिला। एवार्ड और सम्मान पत्रों का सिलसिला चल निकला फिर एक सपना देखा "प्रीत के एहसास" जो एक किताब मेरी लिखी कविताओं का संकलन जो गत वर्ष प्रकाशित हुआ। अब मैं अपनी लिखी रचनाएं आप सभी के साथ बाँटना चाहती हूँ अपनी ही आवाज़ में इस पोडकॉस्ट के माध्यम से। New Episode is out every Sunday & Follow me for regular updates.Harpreet Kaur
Épisodes
  • मन का कहा
    Sep 24 2023

    हर मोड़ पर चलिए सँभल कर, ज़िंदगी हर पल नयी है डगर ,यही है ग़ज़ल क्या करें क्या नहीं 😊


    Voir plus Voir moins
    3 min
  • जन्माष्टमी स्पेशल : कृष्ण भजन
    Sep 10 2023

    कान्हा कान्हा मनवा पुकारे तोरा नाम

    मोहे दर्शन दीजे खोल किवाड़


    माखन गगरी भर भर राखी

    याद करें तोहे गोपियां सारी

    नैन बिछाए सुध बुध हारी

    मन को नहीं आराम

    कान्हा...


    मीरा कहो या राधा प्यारी

    विरहन राह तके निहारी

    अब तो कान्हा सुध लो हमारी

    आओ प्रेम के धाम

    कान्हा..


    फिर मुरली की तान सुहानी

    झूमे सुन गोकुल वासी

    बरसे बदरा रिमझिम पानी

    अरज सुनो मेरे श्याम

    कान्हा...


    पाप की गठरी सर पर भारी

    अनक जतन कर कर मैं वारी

    राग द्वेष की गठरी भरी

    कर दो अब उद्धार

    कान्हा...

    हरप्रीत कौ

    Voir plus Voir moins
    4 min
  • इश्क़
    Aug 26 2023

    आज की ग़ज़ल "इश्क़" ज़िंदगी में इश्क़ के मायने बताती हुई ❤❤


    ज़िंदगी इश्क़ में थमी सी है

    मौत भी लगती ज़िंदगी सी है।


    तेरे ख़्यालों की है महक ऐसी

    छा रही अब तो बे- ख़ुदी सी है।


    तुमने तो दूर रहने की ठानी

    पास आने की दिल्लगी सी है।


    तुम मोहब्बत का ज़िक्र ना करना

    ये कहानी तो काग़ज़ी सी है।


    माफ़ कर देती हूँ ख़ता तेरी

    हमको ऐसी ये आश़िकी सी है।


    ख़्वाब में रोज़ देते हो दस्तक

    ज़िंदगी में तेरी कमी सी है


    प्रीत को अब न और तड़पाना

    उल्फ़त लगती बंदगी सी है।

    Voir plus Voir moins
    3 min
Pas encore de commentaire