Page de couverture de धान की वैज्ञानिक खेती : रोपाई से पहले ऐसे करें खेत की तैयारी, ये हैं प्रमुख फायदें

धान की वैज्ञानिक खेती : रोपाई से पहले ऐसे करें खेत की तैयारी, ये हैं प्रमुख फायदें

धान की वैज्ञानिक खेती : रोपाई से पहले ऐसे करें खेत की तैयारी, ये हैं प्रमुख फायदें

Auteur(s): Dainik Jagran
Écouter gratuitement

À propos de cet audio

भारत भले ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धान उत्पादक देश है लेकिन प्रति हेक्टेयर के औसत उत्पादन में बहुत पीछे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह हैं आज भी देश में परंपरागत तरीके से ही धान की खेती की जा रही है। ऐसे में उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को वैज्ञानिक तरीके से धान की खेती करना होगी। धान की फसल के उत्पान को बढ़ाने के लिए किसान को जमीन तैयार करने से लेकर रोपाई और कटाई तक छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना चाहिए। धान की मुख्यतः तीन उप-प्रजातियां है इंडिका, जैपोनिका और जावनिका। जहां इंडिका प्रजाति का चावल आकार में लंबा होता है वहीं जैपोनिका प्रजाति का धान गोल तथा जावनिका प्रजाति का धान मध्यम आकार का होता है। धान की रोपाई से पहले इनके पौधे को नर्सरी में तैयार किया जाता है, इसके बाद खेत को तैयार किया जाता है। खेत को तैयार करने में कई आधुनिक कृषि मशीनरी की मदद ली जाती है। दरअसल, अन्य फसलों की तरह आज धान की खेती काफी खर्चीली है। ऐसे में वैज्ञानिक सुझावों को अपनाकर सही तरीके से मशीनरी का उपयोग किया जाता है तो खर्च कम हो जाता है वहीं उत्पादन में इजाफा होता है। धान उत्पादन को बढ़ाने के लिए खेत की सही तरीके से जुताई करना बेहद आवश्यक है। बता दें कि खेत को सही तरीके से तैयार करने से पौधे की जड़ें आसानी वृद्धि करेगी और पौधे का समूचा विकास होगा। वहीं खरपतवार नियंत्रण में भूमि की तैयारी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा पौधे को पोषक तत्वों को ग्रहण करने में आसानी होती है। रबी की फसल कटने के बाद प्लाऊ की मदद से खेत की गहरी जुताई करें व खेत को कुछ दिनों के लिए बिना पाटा दिए छोड़ दें। प्लाऊ के लिए Mahindra 475 DI XP Plus व Mahindra 575 DI XP Plus बेहतर ट्रैक्टर है। इनकी हाइड्रोलिक क्षमता क्रमश: 1500 व 1650 किलोग्राम है। किफायती माइलेज की वजह से यह किसानों के पसंदीदा ट्रैक्टर है। इससे लागत खर्च काफी कम हो जाता है।

2025 Copyright ©2021 Jagran Prakashan Limited.
Développement personnel Politique Réussite
Épisodes
  • धान के धनी चाचा : मशीनीकरण ने कैसे धान की कटाई, मड़ाई और भंडारण को आसान और सस्ता बना दिया? आइए जानते हैं
    Oct 21 2021
    • मशीनीकरण ने कैसे धान की कटाई, मड़ाई और भंडारण को आसान और सस्ता बना दिया? आइए जानते हैं

    देश में हर साल बड़े पैमाने पर धान का उत्पादन होता है। लेकिन, कटाई से लेकर भंडारण तक लगभग 10 फीसदी धान ख़राब हो जाता है, जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है किसानों को धान कटाई, मड़ाई तथा भंडारण के सही तरीकों का अभाव होना। ऐसे में इस नुकसान को रोकने के लिए किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर ही धान की कटाई, मड़ाई और भंडारण के उचित इंतज़ाम करना चाहिए। ताकि किसानों की मेहनत बेकार न जाए।

    • सही समय पर करें धान की कटाई

    पारंपरिक विधि से कटाई

    कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई

    धान की मड़ाई या थ्रेसिंग

    • पारंपरिक कटाई की तुलना में कंबाइन हार्वेस्टर से धान की कटाई कैसे फायदेमंद हैं

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    Voir plus Voir moins
    4 min
  • धान के धनी चाचा E 7: रोपाई से पहले खेत की तयारी कैसे करें ? और क्या हैं इसके फायदे ?
    Oct 11 2021

    धान की फसल में कीट रोगों पर कैसे नियंत्रण करें? आइए जानते हैं

    भारत में धान का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन दुनिया के कई देशों से काफी कम है। इसकी सबसे बड़ी वजह है धान की फसल में लगने वाले कीट व रोगों का सही समय पर नियंत्रण नहीं होना। वहीं, दुनियाभर में धान की फसल में लगने कीट तथा रोगों के प्रकोप से सालाना लगभग 10 से 15 फीसदी उत्पादन कम होने का अनुमान है।

    कवक के कारण लगने वाली प्रमुख बीमारियां-

    ब्लास्ट रोग -

    धान में यह रोग नर्सरी में पौध तैयार करते समय से लेकर फसल बढ़ने तक लग सकता है। यह बीमारी पौधे की पत्तियों, तना तथा गांठों को प्रभावित करता है। यहां तक कि फूलों में इस बीमारी का असर पड़ता है। पत्तियों में शुरूआत में नीले रंगे के धब्बे बन जाते हैं जो बाद में भूरे रंग में तब्दील हो जाते हैं। जिससे पत्तियां मुरझाकर सुख जाती है। तने पर भी इसी तरह के धब्बे निर्मित होते हैं।

    कैसे करें नियंत्रण-

    जैविक -इस रोग से रोकथाम के लिए ट्राइकोडर्मा विराइड प्रति 10 ग्राम मात्रा लेकर प्रति एक किलो बीज को उपचारित करना चाहिए। इसके अलावा बिजाई से स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस की 10 ग्राम मात्रा लेकर प्रति किलोग्राम बीज उपचारित करना चाहिए। खड़ी फसल के लिए ट्राइकोडर्मा विराइड या स्यूडोमोनास फ्लोरोसिस का लिक्विड फॉर्म्युलेशन की 5 मिलीलीटर मात्रा का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

    ब्राउन स्पॉट-

    यह बीमारी नर्सरी में पौधे तैयार करते समय या पौधे में फूल आने के दो सप्ताह बाद तक हो सकती है। यह पौधे की पत्तियों, तने, फूलों और कोलेप्टाइल जैसे हिस्से को प्रभावित करता है। पत्तियों और फूलों पर विशेष रूप से लगने वाले इस रोग के कारण पौधे पर छोटे भूरे धब्बे दिखाई देने लगते हैं। यह धब्बे पहले अंडाकार या बेलनाकार होते है फिर गोल हो जाते हैं।

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    Voir plus Voir moins
    4 min
  • धान के धनी चाचा E6 : जानिए कैसे करें धान की खेती में पोषक तत्वों और सिंचाई का प्रबंधन ?
    Sep 26 2021
    धान की खेती में पोषक तत्वों और सिंचाई का प्रबंधन कैसे करें धान समेत विभिन्न फसलों में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग तेजी सेबढ़़ा है। इस वजह से खेती की लागत काफी बढ़ गई है। ऐसे में मिट्टी में पोषक तत्वों के स्थायी प्रबंधन की बेहद आवश्यकताहै। जैसा कि आप जानते हैं कि धान की खेती में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक समेत अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों कीजरूरत पड़ती है। मिट्टी में स्थायी रूप से पोषक तत्वों की पूर्ती के लिए समन्वित खाद प्रबंधन (Integrated NutrientManagement) प्रणाली बेहद कारगर साबित हो सकती है। इसको संक्षिप्त में आईएनएम अवधारणा कहा जाता है। इसप्रणाली में जैविक खाद, खेती के अवशेषों, हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैव उर्वरक और फसल चक्र को अपनाकर धान की फसलके लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ती की जा सकती है। आर्गेनिक खाद का उपयोगजैविक खाद के लगातार प्रयोग से मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। वहीं इसके इस्तेमाल से मिट्टी कीजल ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ती है। इसके लिए धान की रोपाई के 25 से 30 दिनों पहले प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टनगोबर की सड़ी खाद डालना चाहिए। गोबर खाद को पूरे खेत में अच्छी तरह से मिलाने के लिए एक जुताई कर दें। इससे खेतके हर हिस्से में पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने में मदद मिलेगी। हरी खाद का उपयोगभूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के लिए हरी खाद का प्रयोग बेहद कारगर माना जाता है। इसके लिए हरी खाद की फसल कोखेत में उगा सकते हैं। जिसके बाद इसे हरी खाद के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा बंजर भूमि में मौजूद हरी खाद जैव उर्वरक का प्रयोगइसके अलावा अजोला समेत कुछ जैविक उर्वरक तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं। जो बैक्ट्रीरिया की मदद से मिट्टी मेंजैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद करते हैं। बता दें कि अजोला, एजोस्पाइरिलम जैसे कई जैव उर्वरक है जो कि,,,, अकार्बनिक उर्वरक प्रबंधन कैसे करें?धान की विभिन्न किस्मों के मुताबिक ही खाद एवं उर्वरक प्रबंधन किया जाता है। धान की कम अवधि किस्मों के लिए प्रतिहेक्टेयर 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 ग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए। वहीं धान की मध्यमSee omnystudio.com/listener for privacy information.
    Voir plus Voir moins
    3 min

Ce que les auditeurs disent de धान की वैज्ञानिक खेती : रोपाई से पहले ऐसे करें खेत की तैयारी, ये हैं प्रमुख फायदें

Moyenne des évaluations de clients

Évaluations – Cliquez sur les onglets pour changer la source des évaluations.