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धान के धनी चाचा E6 : जानिए कैसे करें धान की खेती में पोषक तत्वों और सिंचाई का प्रबंधन ?

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धान की खेती में पोषक तत्वों और सिंचाई का प्रबंधन कैसे करें धान समेत विभिन्न फसलों में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग तेजी सेबढ़़ा है। इस वजह से खेती की लागत काफी बढ़ गई है। ऐसे में मिट्टी में पोषक तत्वों के स्थायी प्रबंधन की बेहद आवश्यकताहै। जैसा कि आप जानते हैं कि धान की खेती में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक समेत अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों कीजरूरत पड़ती है। मिट्टी में स्थायी रूप से पोषक तत्वों की पूर्ती के लिए समन्वित खाद प्रबंधन (Integrated NutrientManagement) प्रणाली बेहद कारगर साबित हो सकती है। इसको संक्षिप्त में आईएनएम अवधारणा कहा जाता है। इसप्रणाली में जैविक खाद, खेती के अवशेषों, हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैव उर्वरक और फसल चक्र को अपनाकर धान की फसलके लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ती की जा सकती है। आर्गेनिक खाद का उपयोगजैविक खाद के लगातार प्रयोग से मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। वहीं इसके इस्तेमाल से मिट्टी कीजल ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ती है। इसके लिए धान की रोपाई के 25 से 30 दिनों पहले प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टनगोबर की सड़ी खाद डालना चाहिए। गोबर खाद को पूरे खेत में अच्छी तरह से मिलाने के लिए एक जुताई कर दें। इससे खेतके हर हिस्से में पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने में मदद मिलेगी। हरी खाद का उपयोगभूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के लिए हरी खाद का प्रयोग बेहद कारगर माना जाता है। इसके लिए हरी खाद की फसल कोखेत में उगा सकते हैं। जिसके बाद इसे हरी खाद के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा बंजर भूमि में मौजूद हरी खाद जैव उर्वरक का प्रयोगइसके अलावा अजोला समेत कुछ जैविक उर्वरक तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं। जो बैक्ट्रीरिया की मदद से मिट्टी मेंजैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद करते हैं। बता दें कि अजोला, एजोस्पाइरिलम जैसे कई जैव उर्वरक है जो कि,,,, अकार्बनिक उर्वरक प्रबंधन कैसे करें?धान की विभिन्न किस्मों के मुताबिक ही खाद एवं उर्वरक प्रबंधन किया जाता है। धान की कम अवधि किस्मों के लिए प्रतिहेक्टेयर 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 ग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए। वहीं धान की मध्यमSee omnystudio.com/listener for privacy information.

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