Épisodes

  • #007 आर्थिक नाकेबंदी के बीच भारत की उठने की क्षमता
    Aug 18 2025

    Disclaimer: This episode has been translated using AI and reproduced using an AI voice. The content it is based on is an original work by the Core.

    Disclaimer: Yeh episode AI ka istemal karke translate kiya gaya hai aur AI voice ke zariye reproduce kiya gaya hai. Iska content core dwara tayyar kiye gaye vastivik karya par aadharit hai.

    डिस्क्लेमर: ये एपिसोड एआई का इस्तेमाल करके ट्रांसलेट किया गया है और एआई वॉइस के ज़रिए रीप्रोड्यूस किया गया है। इसका कंटेंट कोर द्वारा तैयार किए गए वास्तविक कार्य पर आधारित है।


    अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ़ ने दुनिया भर में अनिश्चितता बढ़ाई है। भारत के निर्यातक 25% और 50% शुल्क के दबाव में हैं, खासकर परिधान और रत्न-आभूषण जैसे श्रम-प्रधान उद्योग। फिर भी वैश्विक अर्थव्यवस्था और सप्लाई चेन पहले से कहीं अधिक मज़बूत नज़र आ रही हैं। भारतीय बाज़ार अभी पिछड़ रहे हैं, लेकिन सुधार और जीएसटी सरलीकरण जैसे कदम कारोबार को सहारा दे सकते हैं। असली संदेश यही है—चुनौतियों के बीच समाधान तलाशने का समय आ गया है।


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    6 min
  • #006 अगर ड्रोन निचली उड़ान भरें, तो भारत ऊंची उड़ान भर सकता है
    Aug 11 2025

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    मुंबई में गणपति जुलूस के दौरान बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने पर पांच युवकों पर मामला दर्ज हुआ, जो दर्शाता है कि भारत में ड्रोन संचालन पर सख्ती जारी है। वहीं, चीन अपनी ‘लो-एल्टिट्यूड इकोनॉमी’ को तेज़ी से बढ़ा रहा है और ड्रोन को व्यावसायिक व लॉजिस्टिक सेवाओं में शामिल कर रहा है। भारत में कृषि, सुरक्षा और उद्योग में ड्रोन की संभावनाएं हैं, लेकिन नियम-क़ायदों और अनुमति प्रक्रियाओं की जटिलता नवाचार को रोक रही है।


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    5 min
  • #005 भारत-अमेरिका व्यापार समझौता समय पर संभव, लेकिन असल चुनौती है बारीकियां
    Jul 29 2025

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    1 अगस्त से अमेरिका द्वारा एकतरफा टैरिफ़ लागू किए जाने की तैयारी है—ज्यादातर आयातित वस्तुओं पर अब 15% तक शुल्क लगेगा। अमेरिका-यूरोप और जापान के बीच हुए सौदों में शर्तें स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन निवेश और रक्षा खरीद के वादों के बदले टैरिफ घटाए गए हैं। भारत पर भी दबाव है कि वह नए व्यापार समझौते के तहत तुरंत ज़ीरो ड्यूटी लागू करे—जो एक बड़ी चुनौती बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि असली सवाल समझौता कब होगा नहीं, बल्कि यह है कि उसमें क्या होगा और वह कितने समय टिकेगा।


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    4 min
  • #004 चीन की ओर बढ़ा भारत का रुख, लेकिन अनिश्चितता बरकरार
    Jul 28 2025

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    भारत और चीन के बीच हालिया घटनाक्रमों से संकेत मिलता है कि द्विपक्षीय संबंधों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। Dixon Technologies और चीन की Longcheer Technology के बीच नई संयुक्त इकाई 'Dixtel Infocomm' का गठन इसी दिशा में एक अहम कदम है। इसके साथ ही, भारत ने चीनी नागरिकों के पर्यटक वीज़ा पर लगी पाबंदियां भी हटाई हैं। हालांकि तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है—सीधी उड़ानें अभी भी बंद हैं और TikTok पर प्रतिबंध बरकरार है। लेकिन व्यापारिक साझेदारियां यह इशारा कर रही हैं कि प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोग की ओर रुख हो रहा है।


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    5 min
  • #003 द टेक: विदेश में फिर एक नया युद्ध, भारत के लिए ज़रूरी है अंदर झांकना
    Jun 23 2025

    गल्फ वॉर से लेकर आज के पश्चिम एशिया संकट तक, अमेरिका के नेतृत्व में हुए युद्धों ने दुनिया को झकझोरा, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था ने इन वैश्विक उथल-पुथल के बीच भी अपनी दिशा नहीं खोई। इस एपिसोड में बताया गया है कि कैसे 1991 की उदारीकरण नीति—जिसका सूत्रपात तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने किया था—भारत को बाहरी संकटों के बावजूद आर्थिक रूप से मजबूत करती रही। चाहे वह 9/11 के बाद अफगान युद्ध हो, 2003 का इराक़ पर हमला, 2008 की वैश्विक मंदी या कोविड-19 जैसी महामारियां—भारत ने अपनी नीतियों, उद्यमशीलता और घरेलू मांग के बल पर स्थिरता बनाए रखी।

    अब, जब अमेरिका और ईरान के बीच टकराव फिर से तेज़ हो रहा है और पश्चिम एशिया एक बार फिर अशांत हो सकता है, भारत के सामने दोहरी चुनौती है—बाहरी संकटों का प्रबंधन और घरेलू सुधारों की गति को बरकरार रखना। इस समय को अवसर की खिड़की मानते हुए, हमें अभी भी कई क्षेत्रों को खोलने, नीतिगत बाधाओं को हटाने और कारोबारी माहौल को सरल बनाने की ज़रूरत है।


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    5 min
  • #002 केबल टीवी की डिजिटल उलटफेर: जुगाड़ू इंडस्ट्री के पतन की कहानी
    Jun 12 2025

    भारत के ज़्यादातर शहरों और कस्बों की तरह, मुंबई की इमारतों के ऊपर उलझी हुई काली केबलें और बेतरतीब डिश एंटीना सिर्फ एक तकनीकी जुड़ाव नहीं थे, बल्कि एक संपूर्ण 'जुगाड़ आधारित' इंडस्ट्री के प्रतीक थे — केबल टीवी इंडस्ट्री, जिसने देशभर में घर-घर मनोरंजन पहुंचाया। लेकिन अब यह इंडस्ट्री एक तीव्र डिजिटल बदलाव की चपेट में है।

    इस एपिसोड में हम जानेंगे कि कैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म, स्मार्ट टीवी और डीडी फ्रीडिश जैसे विकल्पों की बढ़ती लोकप्रियता ने पे-टीवी ग्राहकों की संख्या और नौकरियों — दोनों में गिरावट ला दी है। Ernst & Young की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सात वर्षों में इंडस्ट्री ने न सिर्फ करोड़ों की कमाई गंवाई है, बल्कि 5 लाख से ज़्यादा नौकरियाँ भी खत्म हो गई हैं।

    यह बदलाव सिर्फ तकनीकी नहीं है, यह हमारे उपभोग के तरीके, उपभोक्ता की प्राथमिकताओं और इंडस्ट्री में पारंपरिक जुगाड़ बनाम डिजिटल दक्षता के संघर्ष की कहानी है। यह उन विरासती उद्योगों के लिए चेतावनी भी है, जो अब तक बदलाव के संकेतों को नज़रअंदाज़ करते आए हैं।

    आज जब अधिकतर उपभोक्ता फाइबर ब्रॉडबैंड या मोबाइल डेटा पर निर्भर हो रहे हैं, और जब टाटा, एयरटेल और जिओ जैसे बड़े टेलिकॉम खिलाड़ी अपार्टमेंट-स्तर की कनेक्टिविटी संभाल रहे हैं, तब पुराने केबल ऑपरेटरों को नई तकनीक सीखनी होगी, डिजिटल रूप से सशक्त बनना होगा और एक पूरी तरह बदली हुई दुनिया में खुद को ढालना होगा।


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    6 min
  • #001 टेस्ला, मस्क और ट्रंप: जब राजनीति और कारोबार की लाइन धुंधली हो जाए
    Jun 9 2025

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क के बीच हालिया सार्वजनिक टकराव ने वैश्विक व्यापार और राजनीति के आपसी संबंधों को उजागर किया है। भारत ने मस्क और टेस्ला को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रयास किए, लेकिन नतीजा सिर्फ कुछ शोरूम और स्टोरेज यार्ड तक सीमित रहा। इस बीच, मस्क के ट्रंप से करीबी रिश्ते और स्पेसX को लेकर अमेरिकी सरकारी संस्थाओं की चिंता ने दिखा दिया कि जब राजनीति, कारोबारी हित और व्यक्तिगत समीकरण मिलते हैं, तो नीतिगत फैसले किस तरह प्रभावित हो सकते हैं। भारत के लिए सबक साफ है — किसी एक कारोबारी पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करना या उसे कूटनीतिक पुल के रूप में इस्तेमाल करना जोखिम भरा हो सकता है, खासकर जब वह कारोबारी खुद राजनीतिक अस्थिरता का हिस्सा बन जाए।


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    5 min