
योगी जैगीषव्य: दुःख और कैवल्य की खोज
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इस एपिसोड में, योगी जैगीषव्य और ऋषि अवात्य के बीच एक संवाद प्रस्तुत किया गया है। जैगीषव्य, जिन्हें अपने दस महाप्रलयों के दौरान के जन्मों का पूर्ण ज्ञान है, नरक, पशु-योनि, मनुष्य और देवता के रूप में अपने अनुभवों को साझा करते हैं। वह इस बात पर जोर देते हैं कि सांसारिक सुख और यहाँ तक कि प्रकृति-लय का आनंद भी वास्तव में दुःख ही है, क्योंकि वे अपूर्ण और क्षणभंगुर हैं। योगी बताते हैं कि वास्तविक और शुद्ध आनंद केवल निरपेक्ष स्वतंत्रता या कैवल्य में ही प्राप्त होता है, जो सभी प्रकार की इच्छाओं से परे है। यह पाठ जीवन के दुःखमय स्वभाव और सच्ची मुक्ति की तलाश पर प्रकाश डालता है।भारतीय योग परंपरा में कुछ ऐसे महायोगी हुए हैं, जिनका जीवन केवल ऐतिहासिक कथा नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा है। योगी जैगीषव्य उन्हीं अद्वितीय संतों में से एक हैं। उनकी पहचान एक ऐसे साधक के रूप में है, जिसने जन्म-मरण के चक्र को जीत लिया और मृत्यु के रहस्य को अपने अनुभव से समझ लिया। वे योग, तंत्र और ध्यान के महामहिम आचार्य माने जाते हैं।
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