
शब्द की खोज एक आध्यात्मिक यात्रा
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त्रिशक्ति क्या है
त्रिशक्ति या त्रिमूर्ति — ब्रह्मा (सृजन), विष्णु (पालन) और महेश/शिव (संहार) — ये ब्रह्मांड के तीन मुख्य कार्यों का प्रतीक हैं।
ये “कार्यकारी शक्तियाँ” हैं, जो ब्रह्मांड की व्यवस्था चलाने का दार्शनिक और प्रतीकात्मक तरीका हैं।
हिंदू पुराणों में इन्हें अक्सर स्वतंत्र देवता के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन वेदांत और उपनिषद के स्तर पर इन्हें ब्रह्म (परम सत्ता) के “कार्य रूप” माना गया है।
उपनिषद कहते हैं: “एकं सत् विप्रा बहुधा वदन्ति” — सत्य (ईश्वर) एक है, ज्ञानी लोग उसे कई नामों से पुकारते हैं।
ब्रह्म या ईश्वर कोई एक कार्य नहीं करता, बल्कि सभी कार्यों का स्रोत है — वही शक्ति है जिससे सृष्टि (ब्रह्मा), पालन (विष्णु) और संहार (शिव) की प्रक्रियाएँ चलती हैं।
संतमत और कबीरपंथ के अनुसार यही “ईश्वर” मूल शब्द / नाद / सतपुरुष है, जिससे सारी शक्तियाँ (त्रिमूर्ति भी) उत्पन्न हुई हैं।
2. ईश्वर / ब्रह्म क्या है
उपनिषद कहते हैं: “एकं सत् विप्रा बहुधा वदन्ति” — सत्य (ईश्वर) एक है, ज्ञानी लोग उसे कई नामों से पुकारते हैं।
ब्रह्म या ईश्वर कोई एक कार्य नहीं करता, बल्कि सभी कार्यों का स्रोत है — वही शक्ति है जिससे सृष्टि (ब्रह्मा), पालन (विष्णु) और संहार (शिव) की प्रक्रियाएँ चलती हैं।
संतमत और कबीरपंथ के अनुसार यही “ईश्वर” मूल शब्द / नाद / सतपुरुष है, जिससे सारी शक्तियाँ (त्रिमूर्ति भी) उत्पन्न हुई हैं।