
सांख्य योग: ज्ञान का मार्ग और आत्मा की पहचान
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इस कड़ी में हम श्रीमद्भगवद्गीता के दूसरे अध्याय "सांख्य योग" पर चर्चा करेंगे, जिसे गीता का हृदय भी कहा जाता है। सांख्य योग वह ज्ञानमार्ग है जो आत्मा और शरीर के बीच के भेद को स्पष्ट करता है, जीवन और मृत्यु के रहस्य को उजागर करता है, तथा स्थिर बुद्धि और समत्वभाव का संदेश देता है।
भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद के माध्यम से हम जानेंगे—
आत्मा की नित्य, अविनाशी और अजर-अमर प्रकृति
मृत्यु के भय को कैसे दूर करें
अपने कर्तव्य को बिना आसक्ति के निभाने का महत्व
सुख-दुःख, लाभ-हानि और जय-पराजय में समभाव बनाए रखने का मार्ग
यह एपिसोड केवल शास्त्रीय ज्ञान ही नहीं, बल्कि आधुनिक जीवन में मानसिक शांति, निर्णय लेने की क्षमता और आत्म-स्थिरता को भी बढ़ाने का मार्गदर्शन देगा।
यदि आप जीवन में स्थिरता, आत्मबल और गहराई से जीने का मार्ग खोज रहे हैं—तो यह श्रृंखला आपके लिए है।
इस चर्चा के आधार को विस्तार से समझने के लिये आप यह सुन सकते हैं- "अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" (Auidiobook)इसे पढ़ना चाहे तो आप इस सीरिज के ईपुस्तकें पढ़ सकते हैं-"आध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग"
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