
हनुमान की लंका यात्रा – भक्ति और साहस की अमर गाथा : भाग 1
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À propos de cet audio
आइए, मैं आपको उस पवित्र युग में ले चलता हूँ, जब भगवान राम की भक्ति धरती पर गूंजती थी, और उनके परम भक्त हनुमान का नाम साहस, शक्ति और निष्ठा का पर्याय बन गया। यह कहानी है हनुमान जी की पहली लंका यात्रा की, जब उन्होंने माता सीता की खोज में विशाल समुद्र को पार किया, राक्षसों और दैवीय परीक्षाओं का सामना किया, और राम के प्रेम को अपने हृदय में थामे रावण के सुनहरे शहर को हिलाकर रख दिया। यह एक ऐसी गाथा है, जो वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास के रामचरितमानस के पन्नों से निकलकर आज भी मंदिरों, घरों और दिलों में जीवित है।
जैसे मैं तारों भरे आकाश के नीचे, आग की गर्माहट के पास बैठकर यह कहानी सुनाता हूँ, मेरे शब्द आपको उस समय में ले जाएँगे जब किष्किंधा के जंगलों में राम और लक्ष्मण सीता के लिए व्याकुल थे। रावण ने सीता को अपहरण कर लंका ले जाकर राम को दुखों के सागर में डुबो दिया था। ऐसे में, वायु पुत्र हनुमान, जिन्हें देवताओं ने अमरता और असीम शक्ति का वरदान दिया था, एक असंभव मिशन पर निकले। यह कहानी न केवल उनके साहसिक कारनामों की है, बल्कि उन कथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों की भी, जो हनुमान चालीसा के जाप, अशोक वृक्ष की पूजा, और लंका दहन के उत्सवों में आज भी जीवित हैं।
आइए, हनुमान के साथ इस पवित्र यात्रा पर चलें, जहाँ हर कदम भक्ति की मिसाल है, हर चुनौती आस्था की जीत, और हर जीत राम के प्रति उनके अटूट प्रेम का गीत। जय श्री राम! जय हनुमान!
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