
हनुमान की लंका यात्रा – भक्ति और साहस की अमर गाथा : भाग 2
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सिम्हिका को हराने के बाद, हनुमान का रास्ता साफथा। समुद्र अनंत तक फैला था, लेकिन उनका हृदय राम की भक्ति से हल्का था। जैसे ही सूरज डूबनेलगा, आकाशको नारंगी और सुनहरे रंगों में रंगते हुए,हनुमान ने दूर एक चमकता द्वीप देखा—लंका, रावण का सुनहरा शहर।इसकी मीनारें आग की तरह चमक रही थीं,इसकी दीवारें जादू और शक्ति से मजबूतथीं। यह कोई साधारण जगह नहीं थी; यह राक्षस राजा का गढ़ था,जो दैवीय और राक्षसी शक्तियों सेसुरक्षित था।
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