
मदीना की फ़िज़ां में बस ख़ुशबू-ए-मुस्तफ़ा है हर साँस में हर दिल में बस जिक्र-ए-मुस्तफ़ा है
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मदीना की फ़िज़ां में बस ख़ुशबू-ए-मुस्तफ़ा है
हर साँस में हर दिल में बस जिक्र-ए-मुस्तफ़ा है
ये वो शहर है जहाँ रूह को सुकून मिलता है
और जहाँ हर मुश्किल का हल करम-ए-मुस्तफ़ा है
अल्लाह ने अता की है इतनी अज़मत इस मक़ाम को
कि यहाँ की मिट्टी में भी शिफा-ए-मुस्तफ़ा है
गुंबद-ए-ख़ज़रा के साए में सुकून-ए-कल्ब है
यहाँ दिल को हर तकलीफ से निजात-ए-मुस्तफ़ा है
या नबी आपकी शफाअत की तलब में हैं सब
सच्चे आशिकों के लिए हर राह में बस अता-ए-मुस्तफ़ा है
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