
सलाम उन पर जिन्होंने दोनों -जहाँ को संवारा है मदीना-ए-मुनव्वरा की हर गलीयो में नूर का नज़ारा है
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सलाम उन पर जिन्होंने दोनों -जहाँ को संवारा है
मदीना-ए-मुनव्वरा की हर गलीयो में नूर का नज़ारा है
हजारों दिल हैं उनके सदक़े मे लाखों हैं उन पर फ़िदा
अज़मतों का ये शहर जन्नत का एक इशारा है
या रसूल अल्लाह आपकी मुहब्बत में ये दिल बेकरार है
आपकी आमद से ही तो रोशन है यह दोनों जहां के नजारे है
दुआ है अश्क़-ए-शौक से हो रौशन ये रातें मेरी
आपके दर पर पहुँचना बस यही एक ख़्वाब हमारा है
इश्क़-ए-मुस्तफ़ा में हर साँस को लुटाने को दिल चाहता है
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