Page de couverture de Mahabharat-GeetaSaaranshKavita

Mahabharat-GeetaSaaranshKavita

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प्यारे साथियो, नीरज की गुल्लक में पुनः आपका स्वागत है, और आज, हम फिरआपके समक्ष कुछ नया, कुछ धार्मिक और कुछ प्रेरित करने वाला प्रसंग लेकर प्रस्तुत हुए हैं, और हमारा पितृ मातृ गृह, भरतपुर, भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा के बहुत पास है. तो यह प्राकर्तिक है कि कृष्ण भगवान् में हमारी आस्था और हमारी गुल्लक की आस्था कुछ ज्यादा ही रहती है.

आप यह तो जानते ही हैं कि, भगवान श्रीकृष्ण से, जब अर्जुन और दुर्योधन दोनों युद्ध में सहायता मांगने के लिए गए और फिर दुर्योधन ने १० लाख योद्धाओं की नारायणी सेना चुन ली,उस समय भगवान श्री कृष्ण ने चुटकी लेते हुए अर्जुन से कहा :

हार निश्चित है तेरी, हर दम रहेगा उदास

माखन दुर्योधन ले गया, केवल छाछ बची तेरे पास

….अर्जुन भी जवाब देता है सुनियेगा :

हे प्रभु जीत निश्चित है मेरी ,

दास हो नही सकता उदास

माखन ले कर क्या करूँ ,

जब माखन चोर है मेरे पास .. !!


कौरवों द्वारा मैत्री प्रस्ताव धुकराये जाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से आकर कहा कि तुम्हारे सामने युद्ध ही शेष है, अब यहां से हमारी कविता जन्म लेती है.

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