Page de couverture de Nietzsche का नास्तिक दर्शन || The Anti-Christ (5) || साधुओं की नैतिकता बकवास

Nietzsche का नास्तिक दर्शन || The Anti-Christ (5) || साधुओं की नैतिकता बकवास

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धर्म और नैतिकता का यथार्थ से कोई नाता नहीं. इनकी शब्दावली पर ज़रा गौर करिए- परमात्मा, आत्मा, पाप, पुण्य, कर्म, संसार -माया, लोक- परलोक. एक पूरी काल्पनिक दुनिया बन कर तैयार हो गई. अगर कोई इस संस्कृति में बचपन से नहीं पला बढ़ा तो हवा भी न लगेगी की किन चीज़ों की बात हो रही है. भोजन, प्रजनन, प्रतिस्पर्धा जैसी चीज़ें बच्चों को सिखानी नहीं पड़ती. वैसे ही common sense भी कोई सिखाने वाली चीज नहीं, लेकिन इस विशेष धार्मिक शब्दावली को ज़बरदस्ती बच्चों के दिमाग में ठूसना पड़ता है. अगर एक सौ साल धार्मिक शिक्षा न दी जाए तो लोग ये पूरी धार्मिक भाषा भूल जाएंगे, पर common sense फिर भी बचा रहेगा – तर्क और बुद्धि हर मानव को जन्म से विरासत में मिलती है, सिखानी नहीं पड़ती. लोक अक्सर दिन में सपने देखने वालों, ख्याली पुलाव बनाने वालों पर हँसते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की ऐसे दिवास्वप्न देखने वाले मुंगेरी लाल भी मज़हबी दुनिया में जीने वालों से बेहतर हैं? सपने reality को और मनोरम बनाने,  जीवन को और सुंदर बनाने की आस से निकलते हैं. लेकिन धर्म reality यथार्थ को नकारना और झुठलाना चाहते हैं. आपसे कहते हैं की ये दुनिया हमारे लायक़ है ही नहीं, सच्ची दुनिया धार्मिक दुनिया है. धर्म के बाबा संसारी दृष्टि को नीची नज़र से देखते हैं. धार्मिक दृष्टि में कुछ स्वाभाविक नहीं. कुछ प्रकार की प्राकृतिक प्रवृत्तियों को साधु लोग मानव मन से ठोक- पीट कर बाहर निकाल देना चाहते हैं.  ये सिखाते हैं की जानवरों वाली प्रवृत्तियां त्याग दीजिये. हिंसा करने की इच्छा, क्रूरता, ईर्ष्या, ठरक, दूसरों को हराने की लालसा, पड़ोसी का दमन करने की इच्छा साधु जन छुड़वा देना चाहते हैं. ये चाहते हैं की हर मानव प्रेम स्वरूप बन जाए. करुणा और परोपकार को, और जीव मात्र की सेवा को अपने जीवन का आदर्श बना लें. पर क्यों भाई? किसी बाघ को करुणा समझाने से क्या लाभ होगा? और बाघ समझ जाए तो उस पर कैसा प्रभाव पड़ेगा? आदमी ठरकी, ईर्ष्यालु और लालची नहीं हो सकता? बेचारा मानव. आखिर ठहरा तो एक जानवर ही. साधु बाबाओं की इन धार्मिक शिक्षाओं के बोझ तले दबा जा रहा है. खुद से भाग रहा है. Youtube पर जानवरों के वीडियो देख कर अपना मन बहला रहा है. खुद को समझा रहा है की आदमी होने के नाते वह जानवरों की तरह स्वाभाविक नहीं हो सकता. अगर ठरक आए तो छुपा लीजिये, ईर्ष्या और ...

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