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संत चरित्रावली

संत चरित्रावली

Auteur(s): रमेश चौहान
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‘संत चरित्रावली’ एक आध्यात्मिक श्रवण यात्रा है, जिसमें विश्व के महान संतों, ऋषियों और आध्यात्मिक विभूतियों के जीवन, शिक्षाओं और आत्मानुभूतियों को रोचक व प्रेरणादायी शैली में प्रस्तुत किया जाएगा। प्रत्येक एपिसोड एक संत के जीवन पर केंद्रित होगा — उनके संघर्ष, साधना, अनुभव और समाज को दिए गए संदेशों को सरल भाषा में श्रोताओं तक पहुँचाना इस श्रृंखला का उद्देश्य है। यह शो न केवल ऐतिहासिक और आध्यात्मिक जानकारी प्रदान करेगा, बल्कि आज के जीवन में संतवाणी की प्रासंगिकता को भी उजागर करेगा।रमेश चौहान Spiritualité
Épisodes
  • संत गुरु घासीदास जी: सत्य, अहिंसा और समानता के प्रेरणास्रोत
    Aug 28 2025

    इस एपिसोड में हम छत्तीसगढ़ के महान संत और समाज सुधारक संत गुरु घासीदास के जीवन और उनकी शिक्षाओं की चर्चा करेंगे। एक साधारण किसान परिवार से निकलकर उन्होंने समाज को सत्य, अहिंसा और समानता का संदेश दिया। 'सतनाम' का दर्शन हो, जातिगत भेदभाव का विरोध हो या नशा-मुक्ति का अभियान – उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। यह एपिसोड आपको उनके जीवन की प्रेरणादायी यात्रा से परिचित कराएगा।

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    #संतचरित्रावली #गुरुघासीदास #सतनाम #छत्तीसगढ़ #सामाजिकसुधार #आध्यात्मिकयात्रा #SantCharitravali #GuruGhasidas #Satnam #Chhattisgarh #PodcastIndia

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    16 min
  • बुद्ध: जीवन और उपदेश
    Aug 25 2025

    इस एपिसोड में हम भगवान बुद्ध के जीवन, तपस्या और उपदेशों की विस्तृत झलक प्रस्तुत कर रहे हैं।
    जन्म से लेकर बोधि वृक्ष के नीचे निर्वाण की प्राप्ति तक की यात्रा, उनके शिष्यों की कहानियाँ और किसा गौतमी की कथा जैसे प्रसंग इस एपिसोड को विशेष बनाते हैं।
    बुद्ध के उपदेश – दुःख, दुःख का कारण, दुःख निरोध और अष्टांगिक मार्ग – आज भी मानवता के लिए शांति और मुक्ति का मार्गदर्शन करते हैं।

    यह एपिशोड़ बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों का एक विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है। इसमें उनके जन्म, बचपन, ज्योतिषियों की भविष्यवाणियों और उनके पिता द्वारा उन्हें संसार के दुखों से दूर रखने के प्रयासों का वर्णन है। सिद्धार्थ गौतम के रूप में उनकी प्रव्रज्या (गृह-त्याग), विभिन्न गुरुओं के अधीन उनके आध्यात्मिक अभ्यास, और अंततः बोधि वृक्ष के नीचे निर्वाण की प्राप्ति की कहानी भी इसमें शामिल है। ग्रंथ बुद्ध के चमत्कारों को भी छूता है और उनके प्रमुख शिष्यों जैसे आनंद, देवदत्त का परिचय देता है। अंत में, यह किसा गौतमी की कहानी और एक समृद्ध ब्राह्मण के साथ बुद्ध के संवाद के माध्यम से उनके केंद्रीय उपदेशों – दुःख, दुःख के कारण, दुःख निरोध और अष्टांगिक मार्ग – को स्पष्ट करता है, जो शांति और मुक्ति की ओर ले जाता है।#संतचरित्रावली #बुद्ध #गौतमबुद्ध #निर्वाण #धम्म #अष्टांगिकमार्ग #आध्यात्मिकप्रेरणा #BuddhaTeachings #IndianPhilosophy #SantCharitra

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    19 min
  • तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ
    Aug 20 2025
    जैन धर्म की गौरवशाली परंपरा में 24 तीर्थंकरों का उल्लेख मिलता है, जिनमें तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जीवन अत्यंत प्रेरणादायी और शिक्षाप्रद माना जाता है। इस एपिसोड में हम उनके जीवन, तपस्या, शिक्षाओं और उनके द्वारा दिए गए आध्यात्मिक मार्गदर्शन पर विस्तार से चर्चा करेंगे।पार्श्वनाथ का जन्म लगभग 877 ईसा पूर्व वाराणसी में हुआ था। उनके पिता अश्वसेन वाराणसी के राजा थे और माता का नाम वामा देवी था। बचपन से ही उनमें करुणा, दया और सत्य के प्रति गहरा झुकाव था। वे सांसारिक ऐश्वर्य से घिरे होने के बावजूद साधारण जीवन की ओर आकर्षित रहते थे।किशोरावस्था में ही पार्श्वनाथ ने देखा कि भौतिक सुख-सुविधाएं क्षणभंगुर हैं। वे जीव हिंसा से बचने, संयमित जीवन जीने और सत्य की खोज करने लगे। एक कथा के अनुसार उन्होंने एक बार देखा कि एक साधु अग्निहोत्र कर रहा है और उसमें जीवित सर्प को जलाने की तैयारी है। उन्होंने करुणा और विवेक से सर्प को बचा लिया। यह घटना उनके भीतर अहिंसा और दया के बीज को और गहरा कर गई।युवा अवस्था में ही उन्होंने यह निश्चय किया कि सांसारिक सुख और राजमहल की विलासिता आत्मज्ञान की राह में बाधक हैं। इसलिए 30 वर्ष की आयु में उन्होंने गृहत्याग कर दीक्षा ली।वे गहन ध्यान और कठोर तपस्या में लीन हो गए। उन्होंने सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और आत्मसंयम को अपना जीवन मंत्र बना लिया।✨ जन्म और प्रारंभिक जीवन🌱 बाल्यावस्था का आध्यात्मिक झुकाव🕉️ गृहत्याग और दीक्षा🔥 तपस्या और सर्वज्ञता की प्राप्ति तपस्या और सर्वज्ञता की प्राप्तिकठोर साधना और ध्यान के वर्षों बाद उन्हें सर्वज्ञत्व की प्राप्ति हुई। इस अवस्था में उन्होंने जीवन और ब्रह्मांड के रहस्यों को जाना और आत्मा की अनंत शक्ति का अनुभव किया। उनकी शिक्षाओं का सार यही था कि आत्मा शुद्ध, अमर और मुक्त है, केवल मोह और कर्म बंधन उसे संसार में बांधते हैं।पार्श्वनाथ ने अपने जीवन में अहिंसा, सत्य, अस्तेय और अपरिग्रह को प्रमुख सिद्धांत के रूप में प्रचारित किया।उनकी चार मुख्य प्रतिज्ञाएँ इस प्रकार थीं—अहिंसा (किसी जीव को न मारना)सत्य (सत्य बोलना)अस्तेय (चोरी न करना)अपरिग्रह (अत्यधिक संग्रह न करना)इन सिद्धांतों को उन्होंने समाज में फैलाया और असंख्य लोगों को आध्यात्मिक पथ पर ...
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    7 min
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