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Page de couverture de I LOVE MOHAMMAD S A W 👳🕋

I LOVE MOHAMMAD S A W 👳🕋

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Auteur(s): I LOVE MOHAMMAD S A W
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À propos de cet audio

हज़रत ख्वाजा सैय्यद मोईनुद्दीन हसन चिश्ती संजरी सुम्मा अजमेरी (रहमतुल्लाह अलैह) की शान में आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान फ़ाज़िल-ए-बरेल्वी (रहमतुल्लाह अलैह) फ़रमाते हैं: बाँटते हैं यहाँ ने’मतें कोनैन की लाख कर दे भला कोई बदख्वाह क्या ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान, मुई़नुद्दीन हैं वालि-ए-हिन्द हैं, ग़ौसुल-वरा क्या हज़रत-ए-ख्वाजा की सरकार है फ़र्श से अर्श तक नाम है आपका दर है अमन और अमां हाए! अब ख़ौफ़ से डरना भला क्या तेरे अजमेर की ख़ाक पाक है जिसको सुर्मा बनाए आँख पर वो ग़ुलाम-ए-ख़ुसूसियत पाएगा और शाही का द'वा भला क्या ऐ करम के मुक़ाबले में क़ुसूर मेरे ख्वाजा मुझे सवाली करें ऐ निगाह-ए-करम! मेरी क़िस्मत जI LOVE MOHAMMAD S A W Islam Spiritualité
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  • हज़रत ख्वाजा सैय्यद मोईनुद्दीन हसन चिश्ती संजरी सुम्मा अजमेरी (रहमतुल्लाह अलैह) की शान में
    Sep 26 2025
    हज़रत ख्वाजा सैय्यद मोईनुद्दीन हसन चिश्ती संजरी सुम्मा अजमेरी (रहमतुल्लाह अलैह) की शान में आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान फ़ाज़िल-ए-बरेल्वी (रहमतुल्लाह अलैह) फ़रमाते हैं:बाँटते हैं यहाँ ने’मतें कोनैन कीलाख कर दे भला कोई बदख्वाह क्याख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान, मुई़नुद्दीन हैंवालि-ए-हिन्द हैं, ग़ौसुल-वरा क्याहज़रत-ए-ख्वाजा की सरकार हैफ़र्श से अर्श तक नाम हैआपका दर है अमन और अमांहाए! अब ख़ौफ़ से डरना भला क्यातेरे अजमेर की ख़ाक पाक हैजिसको सुर्मा बनाए आँख परवो ग़ुलाम-ए-ख़ुसूसियत पाएगाऔर शाही का द'वा भला क्याऐ करम के मुक़ाबले में क़ुसूरमेरे ख्वाजा मुझे सवाली करेंऐ निगाह-ए-करम! मेरी क़िस्मत जगालाख हसरत रही, अब निराशा भला क्यायाद आ जाता है जब दर आपकासर झुका लेता है फ़लक-सा क्याशाहों का भी शाह है ख्वाजा मेराता-क़यामत रहे सिक्का भला क्यानूर-ए-इ'रफ़ाँ का तालिब हूँ मैंज़िक्र-ए-हक़ का गुज़ारिश दर में हैया मुई़नुद्दीन! अजमेर की ख़ाक कोसुर्मा कर आँख पर, अब दवा क्याहम असीर-ए-मुहब्बत-ए-ख्वाजा हैंहम फ़क़ीर-ए-करम-ए-ख्वाजा हैंहमको दर से कोई हटा न सकेबा ख़ुदा! दुश्मनों का डर क्याआज हिन्दुस्तान में ईमान कातेरा सिक्का है जारी सुबह-ओ-शामतेरे परचम तले है हर ग़ुलामऔर बग़ावत का ख़तरा भला क्याआपकी शान में लफ़्ज़ कहाँ से लाऊँऐ खुदा के वली! तू ही जानेमेरा दिल है फ़क़त कश्ती-ए-ग़मतेरा इशारा ही किनारा भला क्याकौनों-मक़ाँ में नूर तुम्हाराहर जा है रोशन दर तुम्हाराया मुई़नुद्दीन! करम से ख़ादिम कोदे निशानी पसंदीदा, अब अता क्या
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  • सलाम उन पर जिन्होंने दोनों -जहाँ को संवारा है मदीना-ए-मुनव्वरा की हर गलीयो में नूर का नज़ारा है
    Sep 20 2025

    सलाम उन पर जिन्होंने दोनों -जहाँ को संवारा है

    मदीना-ए-मुनव्वरा की हर गलीयो में नूर का नज़ारा है

    हजारों दिल हैं उनके सदक़े मे लाखों हैं उन पर फ़िदा

    अज़मतों का ये शहर जन्नत का एक इशारा है

    या रसूल अल्लाह आपकी मुहब्बत में ये दिल बेकरार है

    आपकी आमद से ही तो रोशन है यह दोनों जहां के नजारे है

    दुआ है अश्क़-ए-शौक से हो रौशन ये रातें मेरी

    आपके दर पर पहुँचना बस यही एक ख़्वाब हमारा है

    इश्क़-ए-मुस्तफ़ा में हर साँस को लुटाने को दिल चाहता है


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    1 min
  • मदीना की फ़िज़ां में बस ख़ुशबू-ए-मुस्तफ़ा है हर साँस में हर दिल में बस जिक्र-ए-मुस्तफ़ा है
    Sep 20 2025

    मदीना की फ़िज़ां में बस ख़ुशबू-ए-मुस्तफ़ा है

    हर साँस में हर दिल में बस जिक्र-ए-मुस्तफ़ा है

    ये वो शहर है जहाँ रूह को सुकून मिलता है

    और जहाँ हर मुश्किल का हल करम-ए-मुस्तफ़ा है

    अल्लाह ने अता की है इतनी अज़मत इस मक़ाम को

    कि यहाँ की मिट्टी में भी शिफा-ए-मुस्तफ़ा है

    गुंबद-ए-ख़ज़रा के साए में सुकून-ए-कल्ब है

    यहाँ दिल को हर तकलीफ से निजात-ए-मुस्तफ़ा है

    या नबी आपकी शफाअत की तलब में हैं सब

    सच्चे आशिकों के लिए हर राह में बस अता-ए-मुस्तफ़ा है


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